THE BEST SIDE OF भाग्य VS कर्म

The best Side of भाग्य Vs कर्म

The best Side of भाग्य Vs कर्म

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हमारे ब्रह्मांड ने हमें इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए विभिन्न नियम स्थापित किए हैं। इनमें से एक है आकर्षण का नियम। यह नियम कहता है कि आप जो भी देते हैं, वह आपको मिलता है। कर्म इसी आधार पर काम करता है। हमारे प्रत्येक कार्य से ऊर्जा के निशान छूटते हैं, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। और ब्रह्मांड इस click here ऊर्जा को उसी प्रकार हम पर वापस दर्शाता है, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक।

ज्योतिष कर्मशास्त्र का ही एक हिस्सा है भाग्य को कोई काट नहीं सकता, भाग्य ने जो लिख दिया समझो लिख दिया। इस बात से डरने की कोई वजह नहीं, क्योंकि भाग्य भी हम ही बनाते हैं।

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सच्चाई, ईमानदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण व्यवसाय में सपनों और सफलता को जन्म दे सकते हैं। दूसरी ओर, धोखा देना, विलंब करना और समग्र नकारात्मकता विनाशकारी है और असफलता का कारण बनती है।

संसार में तीन प्रकार के लोग हैं। एक भाग्यवादी, जो कि मानते हैं कि सब कुछ पहले से ही नियत है इसलिए पुरुषार्थ करके भी क्या बदल जाएगा। दूसरे हैं पुरुषार्थवादी, जिन्हें लगता है कि भाग्य कुछ नहीं होता, कर्म ही सब कुछ है। तीसरे होते हैं परमार्थी, जो परमअर्थ अर्थात परमात्मा को ही सब कुछ मानते हुए लाभ-हानि में सम रहकर जीवन व्यतीत करते हैं। मनीषियों ने तीसरी श्रेणी के लोगों को उत्तम प्रवृत्ति का बताया है। ऐसे व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में आनंदमय अर्थात शांत भाव से जीवन-यापन करते हैं।

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आसान तो यह कहना है की हमारा तो बचपन से ही भाग्य खराब है

हम ये श्लोक पढ़कर एग्जाम पास कर लेते हैं

पर हम किसी लगातार सफल व्यक्ति के ये गुण खुद में उतारने के स्थान पर लगेंगे भाग्य को दोष देने

‘भाग्य और कर्म दोनों का ही महत्त्व है और अपनी अपनी विशेषतायें, मगर हमें समझना चाहिए की हम भाग्य के सहारे नहीं बैठ सकते। अगर हम भाग्य पर सब कुछ छोड़ दें तो कर्म का कोई महत्त्व ही नहीं रह जाएगा ।

खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्‍य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्‍वास है वह व्‍यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्‍य साथ देता है और न कर्म ही होता है।

कर्म को समझने का सबसे सरल तरीका यह है कि हम ब्रह्मांड को एक विशाल दर्पण के रूप में देखें और महसूस करें कि हम उसके सामने खड़े हैं। यह हमें जो कुछ भी करते हैं, उसका प्रतिबिंब दिखाता है। इसलिए हमारे विचार, बोले गए शब्द और किए गए कार्य सब हम पर उसी प्रकार से वापस आते हैं। लेकिन ये परिणाम सीधे या अप्रत्यक्ष हो सकते हैं।

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अंत में, अब अगर मेरे विचार आपको तार्किक लगें व् कर्म की ओर प्रेरित करें तो आप इसे क्या कहेंगे … “ मेरा कर्म या मेरा भाग्य “ फैसला आप पर है 

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